अपना लण्ड उसकी चूत से निकाला, चिकने रस से भीगा हुआ उसका लण्ड बड़ा मोहक लग रहा था। पर दूसरे ही क्षण उसने मुझे दबोच लिया और मेरे ऊपर सारा भार डाल दिया। मुझे वो दरी गड़ने लगी। मैंने उसे कराहते हुये पल्टी मारने को कहा और मैं उसके ऊपर आ गई। मैंने कपड़े से अपनी पनीली चूत पोंछ ली और उसके खड़े लण्ड को दोनो पलकों के बीच में सेट कर दिया। फिर उसे हौले से अन्दर ठेल दिया। जीजू का लण्ड अब मेरी योनि में प्रविष्ट कर चुका था। नीतू पास में लस्त सी पड़ी हुई थी।
मैंने भी जीजू को अपने आनन्द का परिचय एक चीख के साथ दिया और उसका पूरा लण्ड चूत में घुसा लिया। मुझे समझ में आ गया था कि जीजू को चुदाते समय लड़कियो की मस्ती भरी चीखे सुनने अच्छी लगती है। सो मैंने भी नाटक करने में कोई कसर नही छोड़ी। मेरे झूलते हुये बोबे उसके हाथों में मसले जाने लगे। मैंने भी मस्ती में चीखना का दौर चालू कर दिया। जीजू के कानों में धीरे धीरे गालियाँ भी घोलने लगी।
" जीजू, भेन चोद मुझे चोद ही दिया ना, मस्त लौड़ा है मेरी जान"
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